गाडरवारा सँयुक्त किसान मोर्चा गाडरवारा द्वारा केंद्र सरकार की अर्थी निकालकर शांतिदूत चौराहे पर फूंका पुतला।
सांसद एवं प्रधानमंत्री के नाम एस डी एम के माध्यम से ए एस आई मानेकर को ज्ञापन सौपा।
शांतिदूत तिराहे पर आयोजित सभा स्थल पर केंद्र सरकार की अर्थी रखी गई जिसे ब्रजमोहन कौरव, जगदीश पटेल, देवेंद्र वर्मा, नन्हेलाल वर्मा,त्रिलोचन कौरव, क़1 रामशरण कौरव, नेपाल सिंह गूजर,नरेंद्र वर्मा, गरीबदास चौधरी ने सम्बोधित किया। सांसदों को दिये गए ज्ञापन में उल्लिखित किया कि वर्ष 2020-21 में दिल्ली में हुए 383 दिन के ऐतिहासिक किसान आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा किसानों की सभी लंबित मांगों को पूरा करने के लिखित आश्वासन के बाद वापस लिया था। इसमें
(1) एमएसपी को कानूनी रूप से लागू करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की भागीदारी के साथ एक कानूनी मसौदा तैयार करने और पारित करने के लिए एक समिति का गठन
(2) संसद में पेश करने से पहले विद्युत संशोधन विधेयक पर संयुक्त किसान मोर्चा से परामर्श
(3) किसानों और उनके नेताओं के खिलाफ आंदोलन के लिए दर्ज किए गए सभी मामलों की वापसी
(4) आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा और
(5) किसानों पर पराली जलाने के लिए लगाए गए जुर्माना को कानून से हटाना शामिल है।
हालांकि केंद्र सरकार द्वारा दिए हुए इन आश्वासनों को लगभग 10 महीने बीत चुके हैं, लेकिन एक भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। इससे देश के किसानों में व्याकुलता पैदा हो रही है और किसानों को झूठा आश्वासन देने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ एक और आंदोलन शुरू करने के लिए कई हलकों से मांग की जा रही है।
एक सांसद के रूप में आप अपने निर्वाचन क्षेत्र के सभी किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए हम आपको यह ज्ञापन सौंपते हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों को दिए गए आश्वासनों को पूरा न करने के मुद्दे को संसद में अविलम्ब उठाएं और आश्वासनों को तुरंत पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को बाधित करें। हमें विश्वास है कि आप किसानों की ओर से दृढ़तापूर्वक अपनी बात रखेंगे और किसानों के हितों को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश करेंगे।बक्ताओ ने सम्बोधित करते हुएकहा कि
पिछले साल आज ही के दिन तिकोनिया, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण आंदोलन कर वापस लौट रहे किसानों पर थार गाड़ी चढा़ दी थी। इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए, 13 से अधिक किसान बुरी तरह घायल हुए।
इस घटना के पीछे सुनियोजित षड़यंत्र था जिसे बाहुबली अजय मिश्र टैनी ने अपने बेटे आशीष मिश्र टेनी के साथ मिलकर रचा। देश भर में इस कुकृत्य के खिलाफ विरोध -प्रदर्शन हुआ, शहीद किसानों के अंतिम संस्कार के दौरान किसान नेताओं के साथ सरकार का कुछ मांगों पर समझौता हुआ, लेकिन उन मांगों पर न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने कोई ध्यान दिया। आजादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया, तब जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार से बैठक कराने का वादा भी किया, लेकिन आज तक मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार को या उस समझौते में शामिल अधिकारियों को किसान नेताओं के साथ मीटिंग करने की फुर्सत नहीं मिली।
आज लखीमपुर के उन पांच किसानों की सुनियोजित हत्या को एक साल हो गया है, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला। मजबूरन आज देश भर में किसान और इस घटना से आहत अन्य तमाम वर्गों के न्यायपसंद लोग काली पट्टी बांधकर, शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए, केन्द्र सरकार का पुतला फूंकते हुए आपकी सरकार के किसानों के प्रति इस शत्रुतापूर्ण रवैये के विरोध में अपना रोष जाहिर कर रहे हैं। साथ ही एकबार फिर लखीमपुर के शहीद किसानों के लिए न्याय की मांग दोहराते हैं :
1.लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टैनी को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त किया जाए और उसको तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
3 अक्टूबर की घटना के संबंध में हमने जो शिकायत, एफआईआर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी, उसके विभिन्न पहलुओं पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अजय मिश्र टैनी ही वे दोषी है जिनके आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने 3 अक्टूबर को तिकोनिया में विरोध दर्ज किया था। उन्होंनें ही 25 सितंबर 2021 में एक सभा में खुले मंच से एक धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़कर कर बाहर करने की धमकी दी थी, जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था। एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी 120 बी यानी हत्या का सुनियोजित षड़यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है। इसके बावजूद आपकी सरकार द्वारा अजय मिश्र टैनी को बचाने के प्रयास जारी है, और सबसे ज्यादा शर्मनाक उनका आज तक केन्द्रीय मंत्री बने रहना है। इतना ही नहीं अजय मिश्र टैनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानवाजी आज भी जारी है। आपसे आग्रह है कि अजय मिश्र टैनी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करते हुए लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता के दोष में जेल भेजें।
2.जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी केसों की वापसी 4अक्टूबर, 2022 को हमारे शहीद हुए 5 साथियों के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस कमिश्नर लखनऊ निरंजन कुमार, वरिष्ठ आई जी पुलिस लक्ष्मी सिंह, तत्कालीन डी एम, एस. एस. पी. से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी कि हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इसे घटना को गंभीर व एकाएक उकसावे से पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है, उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर उन्हें तुरंत जमानत दे देगी। आश्वासनों के विपरीत हमारे चार साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत आज तक जेल में डाला हुआ है और इन्हें जमानत न मिल सके, इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी करते हैं। हम आपसे एकबार फिर कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। किसी कारण से आपकी सरकार इसको मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर यह दमन कर रही है। हमारा आपसे आग्रह है इन चार साथियों के ऊपर लगाए गएआरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाने और दोषमुक्त करें।
3.शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वायदा पूरा करो
सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक शहीद हुए साथी के परिजनों को 45 लाख रूपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी और सभी घायलों को 10 लाख रूपये का मुआवजा देगी।
बड़े खेद का विषय है कि सरकार ने केवल 5 शहीद हुए साथियों के परिवारों को 45 लाख रूपये मुआवजा दिया है। बाकी सभी आश्वासनों को पूरा करने में आपकी सरकार लगातार मुकर रही है। राज्य सरकार ने इस घटना में घायल हुए 13 साथियों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया और न ही शहीद हुए 5 किसान साथियों के परिवार में किसी को सरकारी नौकरी दी।
महोदय, इतना ही नहीं इस घटना से संबंधित गवाहों पर जानलेवा हमले भी हुए, पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमें थोपने और डराने धमकाने की साजिशें होती रही हैं। हमारा आग्रह है इस घटना के सभी गवाहों और पैरवी कर रहे किसान नेताओं की मजबूती से सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है जो की जानी चाहिए, ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके। सभा के उपरांत लखीमपुर खीरी के4किसानों 1पत्रकार सहित गाडरवारा सँयुक्त किसान मोर्चा गाडरवारा के जुझारू किसान नेता अनिल कौरव(अन्नू पटेल)को2मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।इसके बाद शांतिदूत चौराहे पर अर्थी को घुमाते नारेवाजी कर चौराहे पर केंद्र सरकार की अर्थी का दहन किया गया। सांसद राव उदयप्रताप, सांसद कैलाश जी सोनी के नाम संसद में किसानों की आवाज उठाने एवं प्रधानमंत्री के नाम एस डी एम के माध्यम ए एस आई मानेकर को ज्ञापन सौंपा गया।