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April 29, 2024
ADITI NEWS
सामाजिक

खुशियों की दीवाली हो पं. सुशील शर्मा की कलम से

दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः
दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते

खुशियों की दीवाली हो
(दीपावली पर गीत )

दूर करो मन के अँधियारे
खुशियों की दीवाली हो।

मंगल कलश सजे हर द्वारे
घर-घर में उजियाला हो।
हर मुखड़ा खुशियों से दमके
जगमग जगमग आला हो।
रात अमावस की है लेकिन
पूनम सी आभासी हो।
ज्योतिर्मय जीवन हों सबके
सबकी दूर उदासी हो।

कुंठा द्वेष कलुष सब हारें
मन पीड़ा से खाली हो।

मन अंतस के अँधियारों में
संवेदन के दीप जलें।
भग्न-हृदय के रिसे घाव में
अपनेपन की दवा मलें।
तिमिरपंथ जीवन की जड़ता
मिटे हटे सब सूनापन
अमा घनी मंडित अंधियारे
हो जाएँ सब ज्योतिर्मन।

असतोमा सत हृदय गमय हों
दीप भरी हर थाली हो।

आशा का दीपक हर मन हो
सब हाथों को काम मिले।
अपनापन हो हर आँगन में
नवचिराग हर हृदय जले।
हर घर में हों हँसी ठिठोली
नई विभा सतरंगी हो।
दीवाली हो खुशियों वाली
आभा रंगबिरंगी हो।

हर घर लक्ष्मी का निवास हो
दीवाली मतवाली हो।

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसम्पदः
शत्रु-बुद्धि-विनाशाय दीपज्योतिर्नमोस्तुते ||

ईश्वर से प्रार्थना है कि यह दीपोत्सव आपके जीवन में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य को प्रवाहित करे।
दीपावली की अनंत शुभेक्षाएँ।

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