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April 29, 2024
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नरसिंहपुर के प्रमुख समाचार

मप्र महिला वित्त एवं विकास निगम की अध्यक्ष श्रीमती अमिता चपरा का दौरा कार्यक्रम

नरसिंहपुर, 01 मार्च 2023. मप्र महिला वित्त एवं विकास निगम की अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त) श्रीमती अमिता चपरा गुरूवार दो मार्च को जिले के प्रवास पर रहेंगी और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगी।

दौरा कार्यक्रम के अनुसार गुरूवार दो मार्च को श्रीमती चपरा सड़क मार्ग द्वारा भोपाल से प्रस्थान कर प्रात: 10.30 बजे सर्किट हाऊस नरसिंहपुर आयेंगी। तत्पश्चात श्रीमती चपरा पूर्वान्ह 11 बजे आंगनबाड़ी केन्द्र का निरीक्षण कर आंगनबाड़ी केन्द्र पर लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत बालिकाओं एवं मातृ शक्ति से संवाद करेंगी। इसके बाद वे दोपहर एक बजे प्रबंध समिति की बैठक में शामिल होंगी और स्थानीय कार्यक्रम के बाद रात्रि विश्राम करेंगी। श्रीमती चपरा शुक्रवार तीन मार्च को पूर्वान्ह 10 बजे सड़क मार्ग द्वारा नरसिंहपुर से भोपाल के लिए प्रस्थान करेंगी।

आदतन अपराधी अमित ताम्रकार का जिला बदर

नरसिंहपुर, 01 मार्च 2023. मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 के प्रावधानों के तहत जिला दण्डाधिकारी सुश्री ऋजु बाफना ने जिले के एक आदतन अपराधी को पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर जिला बदर किया है। जिला दंडाधिकारी द्वारा जारी आदेश के अनुसार चीचली के निवासी अमित पिता उमाशंकर ताम्रकार को जिला बदर किया गया है। उमाशंकर ताम्रकार को नरसिंहपुर जिला और उससे लगे जिलों छिंदवाड़ा, सिवनी, जबलपुर, दमोह, सागर, रायसेन एवं नर्मदापुरम की राजस्व सीमाओं से एक वर्ष की अवधि के लिए निष्कासित किया गया है।

जिला दण्डाधिकारी सुश्री ऋजु बाफना ने अमित ताम्रकार को आदेशित किया है कि वह उक्त आदेश की प्राप्ति के 48 घण्टों के भीतर उक्त जिलों की सीमाओं से बाहर चला जावे तथा अपने आचरण में सुधार करे। साथ ही इस जिले की सीमाओं में एक वर्ष की अवधि तक जिला दण्डाधिकारी की अनुमति के बगैर प्रवेश नहीं करे। जिला बदर की अवधि में जारी आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित के विरूद्ध मप्र राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 14 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जायेगी।

उल्लेखनीय है कि उमाशंकर ताम्रकार के विरूद्ध मारपीट करने, चोरी करने, जिला बदर आदेश का उल्लंघन करने, जहरीली शराब विक्रय हेतु रखने, पेट्रोल पम्प में लूट- डकैटी की योजना बनाने, एकराय होकर मोटर सायकल चोरी करने व जुआ खेलना आदि के 10 प्रकरण दर्ज हैं।.

विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव की विकास यात्राओं के दौरान 28 फरवरी को 60 लाख रुपये के 6 निर्माण कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन

नरसिंहपुर, 01 मार्च 2023. जिले में 5 फरवरी से 28 फरवरी तक विकास यात्रायें निकाली गई। इसी क्रम में 28 फरवरी को विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव की विकास यात्राओं में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती ज्योति नीलेश काकोड़िया, पूर्व विधायक श्री हाकम सिंह चढ़ार, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री महेन्द्र नागेश और अन्य जनप्रतिनिधियों ने 60 लाख रुपये लागत के कुल 6 निर्माण कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन किया। विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव में 2 लाख रुपये लागत के 1 निर्माण कार्य का लोकार्पण व 58 लाख रुपये के 5 निर्माण कार्यों का भूमिपूजन किया गया। जनप्रतिनिधियों ने शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के हितलाभ भी हितग्राहियों को वितरित किये। साथ ही गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र में 177 आवेदन स्वीकृत किये गये।

किसान फसल अवशेष/ नरवाई नहीं जलायें

आग लगाने से भूमि उर्वरा शक्ति में होती है कमी, पर्यावरण को होता है गंभीर नुकसान

नरसिंहपुर, 01 मार्च 2023. किसान कल्याण एवं कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष/ नरवाई नहीं जलायें। फसल अवशेष/ नरवाई में आग लगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी होती है और पर्यावरण भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है।

फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान

फसल अवशेष जलाने से हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो मनुष्यों व पशुओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।

आग लगाने में भूमि की ऊपरी दो इंच की परत पूरी तरह जलकर कठोर हो जाती है व राख जमा हो जाती है, इससे वायु व जल का संचार कम हो जाता है।

भूमि में रहने वाले जीवों व अदृश्य सूक्ष्म जीवों की संख्या बहुत कम हो जाती है। ये जीव किसान के मित्र हैं व भूमि में रहकर अघुलनशील पोषक तत्वों को घोलकर पौधों को उपयोग लायक बनाते हैं। इसके साथ ही हानिकारक जीवाणु व फफूंदी से फसल को बचाते हैं।

मित्र जीवाणु की संख्या कम होने पर जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम हो जाती है।

पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता कम हो जाती है।

अवशेष जलाने से राजमार्गों व अन्य स्थानों पर धुएं के कारण दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है।

फसल अवशेष को जमीन में मिलाने के फायदे

फसल अवशेष मिट्टी में मिलाने से कार्बनिक पदार्थ व अन्य तत्व बढ़ते हैं, जिससे सूक्ष्म जीवों की सक्रियता बढ़ जाती है। फसल अवशेषों को लगातार तीन- चार वर्ष खेतों में मिलाने से 1600 किग्रा जैविक कार्बन, 20 से 30 किग्रा नाईट्रोजन, 4 से 7 किग्रा फास्फोरस, 4 से 6 किग्रा सल्फर व 60 से 100 किग्रा पोटाश का लाभ मिलता है, इसका मूल्य प्रति हेक्टर करीब 2 से ढाई हजार रुपये आंका गया है।

इसके साथ ही एक सिंचाई की बचत भी देखी गई है।

मृदा के भौतिक गुणों जैसे संरचना, जल एवं पोषक तत्वों की धारण क्षमता में वृद्धि होती है।

मृदा का पीएच मान ठीक रहता है, जिससे उर्वरकों की उपलब्धता व स्थरीकरण अधिक समय तक रहता है।

मृदा चरण को कम करके पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाते हैं।

भूमि एवं वातावरण का प्रदूषण नहीं फैलता है। फसल अवशेष जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे वायुमंडल का तापमान बढ़ता है और फसलों की विपरीत असर पढ़ता है।

अवशेषों को वापस जमीन में मिलाने से इस दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है और फसलों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है। आग लगाने से भूमि की ऊपर सतह कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से इसमें वायु संचार, जल ग्रहण की क्षमता घट जाती है। धुएं की बजह से आंखों में जलन व धुंधलापन और श्वांस के रोगियों को श्वांस लेने में दिक्कत का भी सामना करना पड़ता है।

समाधान

गेहूं के अवशेषों का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई करने और स्ट्रा रीपर से भूसा बनाने के बाद खेत में हैरों से बचे हुए अवशेषों को आसानी से मिलाया जा सकता है। धान के अवशेष कुछ समस्या अवश्य करते हैं, लेकिन यदि कटाई करने के लिए मशीन आये, तो अवशेषों को समान रूप से खेत में बिखेर दें और इसके बाद हैपीसीडर से गेहूं की फसल की बिजाई की जाये, तो इससे गेहूं की पैदावार अधिक होती है। साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है, पानी की बचत होती है। खरपतवार नाशक दवा के प्रयोग की जरूरत नहीं रहती और विपरीत मौसम में पकाई के समय फसल नहीं गिरती। धान के अवशेषों को चोपर/ कटर से काटकर खेत में फैलाया जा सकता है, उसके बाद गेहूं की फसल की बिजाई की जा सकती है।

फसल कटाई के पश्चात फसल अवशेष, घास-भूस, पत्तियां व डंठल आदि को सड़ाने के लिए 20 से 25 किग्रा नत्रजन प्रति हेक्टर की दर से छिड़ककर किसान हैरों या कल्टीवेटर से जुताई कर दें। कुछ ही दिनों में सभी अवशेष सड़- गल कर आने वाली फसल को पोषक तत्व प्रदान करेंगे। फसल अवशेषों से कम्पोस्ट खाद तैयार करें। गोबर के साथ फसल अवशेष मिलाकर वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है। पशुओं के मलमूत्र में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। फसल अवशेष मलमूत्र को सोखने के लिए बिछौने के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इन अवशेषों का कम्पोस्ट बनाने में प्रयोग करें, जिससे कम्पोस्ट की गुणवत्ता में इजाफा होगा। इन अवशेषों से बहुमूल्य मशरूम कम्पोस्ट तैयार करके खुम्ब उत्पादन किया जा सकता है। चारे की अधिकता वाले क्षेत्रों में मक्के की कड़वी व धान की पुआल को खुला छोड़ने की बजाए गड्ढ़ों में कम्पोस्ट बनाकर उपयोग करना फायदेमंद है। आलू, मूंगफली जैसी फसलों की खुदाई के बाद बचे अवशेषों को तथा मूंग, उड़द की फसल में फलियां तोड़कर अवशेष को खेत में मिलाना लाभदायक होता है। फसल अवशेषों को दूसरी फसलों में मल्च के लिए प्रयोग किया जा सकता है, इससे फसल का अच्छा जमाव होता है, पानी की बचत होती है और बेहतर खरपतवार नियंत्रण होता है। फसल अवशेषों को बेलर द्वारा इकट्ठा करके गांठें बनाई जा सकती हैं, जिन्हें सीमित जगह में संचित करके लम्बे समय तक रखा जा सकता है या दूरस्थ स्थानों पर चारे के रूप में भेजा जा सकता है। बेलर द्वारा बनाई गई गांठों को बिजली या उर्जा संयंत्रों में भी प्रयोग किया जा सकता है। फसल अवशेषों विशेष तौर पर पराली से गत्ता तैयार किया जा सकता है, जो विभिन्न रूपों में तैयार किया जा रहा है तथा पर्यावरण हितैषी भी है।

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