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April 27, 2024
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दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व एवं लक्ष्मी पूजन समय व विधि

दीपावली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान राम इस दिन 14 वर्ष के वनवास के साथ अयोध्या वापस लौटे थे और इसी खुशी में आयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसी मान्यता भी है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह की अमावस्या पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, वहीं वाल्मीकि रामायण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी का विवाह हुआ था। इस वजह से हर साल दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व है। दिवाली के त्यौहार में सबसे ज्यादा महत्व लक्ष्मी जी के पूजन का होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा विधि विधान के साथ करने से घर में सुख समृद्धि सदैव बनी रहती है और कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

आज दिवाली पर कई तरह के शुभ संयोग बन रहे हैं। 24 अकटुम्बर को दिवाली हस्त नक्षत्र और वैधृति योग में मनाई जा रही है। यह योग बहुत ही शुभ फल देने वाला और सुखमय जीवन के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा बुध जो भगवान गणेश को समर्पित होता है तुला राशि में रहेंगे। जहां पर पहले से सूर्य और शुक्र मौजूद हैं। वहीं गुरु और शनि भी स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। ऐसे में यह दिवाली बहुत ही सौभाग्य और आर्थिक संपन्नता बढ़ाने वाली रहेगी।

दिवाली 2022 तिथि और लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ: 24 अक्टूबर, 2022 को शाम 05 बजकर 29 मिनट से।
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर।

अमावस्या निशिता काल:  11 बजकर 39 से 00:31 तक।

कार्तिक अमावस्या सिंह लग्न का समय:  रात 01:26 से 03:44 बजे।

अभिजीत मुहूर्त का समय: सुबह 11:19 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक है।

विजय मुहूर्त आरंभ: 24 अक्टूबर को 01:36 से 02:21 तक।

दिवाली 2022: लक्ष्मी पूजा का समय और मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 18:54 से 20:16 मिनट तक

पूजा अवधि: 1 घंटा 21 मिनट

प्रदोष काल: 17:43 से 20:16 मिनट तक
वृषभ काल: 18:54 से 20:50 मिनट तक

दिवाली 2022 महानिशिता काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 23:40 से 24:31 मिनट तक

पूजा अवधि: 0 घंटे 50 मिनट

महानिशीथ काल: 23:40  से 24:31 मिनट तक
सिंह काल: 25:26:25 से 27:44:05 तक

दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
संध्या मुहूर्त (अमृत, चर): 17:29 से 19:18 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ): 22:29 से 24:05 मिन तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत,चल): 25:41:06 से 30:27:51

लक्ष्मी पूजन मंत्र 
.  ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

लक्ष्मी पूजा की तैयारी सांयकाल से ही शुरू की जाती है। जिसमें एक चौकी पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि लक्ष्मी जी के दायीं दिशा में गणेश रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। उनके सामने बैठकर चावलों पर कलश की स्थापना करें। वरुण के प्रतीक इस कलश पर एक नारियल लाल वस्त्र में लपेटकर इस प्रकार रखें कि केवल अग्रभाग ही दिखाई दे। दो बड़े दीपक लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें। एक को मूर्तियों के चरणों में और दूसरे को चौकी की दाई तरफ रखें।चौकी पर रखे गणेश जी के सामने एक छोटा सा दीपक रखें।

मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढ़ेरिया तीन लाईनों में बनाए। लंबोदन की ओर चावल की 16 ढ़ेरियां बनाए। नवग्रह और सोलह मातृका के बीच में स्वास्तिक का चिन्ह बनाए। इसके बीच में सुपारी रखें और चारों कोनों पर अक्षत की ढेरी। सबसे ऊपर बीच में ऊँ लिखें।

देवी लक्ष्मी की ओर श्री का चिन्ह बनाए। गणेश जी की ओर त्रिशूल बनाए व चावल की ढेरी लगाए जो ब्रह्मा जी का प्रतीक है। सबसे नीचे अक्षत की 9 ढ़ेरियां बनाए जो मातृका की प्रतीका है। इसके अतिरिक्त बहीखाता, कलम-दवात और सिक्कों की थैली रखें। ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें।

इसके बाद शुभ मुहूर्त के समय जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूपबत्ती, गुड़, फूल, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें। फिर सारे दीपकों को जलाकर उन्हें नमस्कार करें। उन पर चावल छोड़ दें। पहले पुरुष और फिर बाद में स्त्रियां गणेश जी, लक्ष्मी जी और अन्य देवी-देवताओं का विधिवत षोडशोपचार पूजन, श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त और पुरुष श्री सूक्त का पाठ करें और आरती उतारें।बही खातों की पूजा करने के बाद नए लिखने की शुरुआत करें। तेल के अनेक दीपक जलाकर घर के हर कमरे में, तिजोरी के पास, आंगन में और गैलरी आदि जगह पर रखें। किसी भी जगह पर अंधेरा न रहने दें। मिठाइयां, पकवान और खीर आदि का भोग लगाकर सबको प्रसाद बांटे।

पूजन विधि

पूर्व की ओर मुंह करके अपने और घरवालों पर जल के छींटे देकर पवित्रीकरण करें। तीन बार आचमन भी करें। कहें- ऊँ केशवाय नमः, ऊँ माधवाय नामः, ऊँ नारायणाय नमः।

हाथ धोएं। सब पर जल के छींटे देकर पूजन सामग्री पर छिड़कें।

मंत्र- ऊँ अपवित्रः पवित्रो वासर्वांवस्था गतोपिवा। यः स्मरेत पुण्डरी काक्षं स बाह्माभ्यन्तरः शुचि।।

आसन शुद्धि के बाद पृथ्वी माता को गंध, अक्षत देकर जल छोड़ें और फूल जमीन पर छोड़ें। कहें- ऊँ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवित्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरू चासनम्।।

अब ऊँ दीपेभ्यो नमः बोलते हुए दीपक प्रज्वलित करें।

गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, आचमनीयम समर्पयामी कहते हुए धूप जलाएं। अब घंटी पर गंध अक्षत लगाकर घंटी बजाएं।

अब भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और सरस्वती पर गंधी के छींटे दें। हाथ में फूल लेकर कहें- सभी देवी देवताओं को सात्विक मन वचन से प्रणाम करता हूं। मेरी आराधना स्वीकार करें। अपने माता-पिता, गुरू-ब्राह्मण और पूर्वजों को भी नमन करता हूं। फूल चढ़ा दें।

पूजा संकल्प के लिए जल, अक्षत, पुष्प, सुपारी और द्रव्य आदि लेकर संकल्प करें। कहें- हे देवी लक्ष्मी, नारायण और सम्मुख विराजित देव। आज संवत 2079, याम्यायन गोल, शरद ऋतु, कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की पुण्य तिथि अमावस्या, दिन सोमवार, चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग, लग्ने, बेला में अपने पिता व पूर्वजो के पुण्य प्रताप से गोत्र, नाम, स्थान, मनशोदिष्ट कामना सिद्धि प्राप्ति के लिए स्थिर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर का पूजन कर रहा हूं। आपकी कृपा से मेरी पूजा सफल हो।

संकल्प भगवान गणपति, माता लक्ष्मी, देवता कुबेर आदि भगवान के पास छोड़ें।

अब हाथ में फूल, दूर्वा आदि लेकर गणेशजी का पूजा करें। फल-फूल, दीप, धूप और गंध उन्हें अर्पित कर प्रणाम करें।

पानी भरे कलश में सुपारी, दूर्वा, पुष्प डालें, आम के पत्ते लगाएं। ऊपर नारियल रख लाल कपड़ा लपेटें।

लक्ष्मी प्राप्ति हेतु प्रसन्नचित्त कमलदल पर विराजित धन द्रव्य वर्षा करती महालक्ष्मी का ध्यान करें।

पूजन सामग्री महालक्ष्मीजी को चढ़ाएं। उनकी पूजा करें।

महालक्ष्मी को गंध और अक्षत अर्पित करें।

अब देवी लक्ष्मी की आरती करें। गणेशजी व माता को पुष्प अर्पित करें। क्षमा प्रार्थना करते हुए प्रणाम करें।

लक्ष्मी की आरती-
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।।ॐ जय लक्ष्मी माता

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।ॐ जय लक्ष्मी माता

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावे, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।ॐ जय लक्ष्मी माता
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता।।ॐ जय लक्ष्मी माता

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता।।ॐ जय लक्ष्मी माता

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता।।ॐ जय लक्ष्मी माता

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।ॐ जय लक्ष्मी माता

।। लक्ष्मी माता की जय।।

ओम (ॐ) असतो मा सद्गमय।

तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥

अदिति न्यूज की तरफ से आप सभी को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

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