मजदूर दिवस पर विशेष (मजदूर कहाँ होते हैं)
मजदूर कहाँ होते हैं (अतुकान्तिका) मजदूर होते ही कहाँ हैं होतीं हैं उनकी। काम पाने की आशा भरी सुबह। पसीने से तरबतर दोपहर फटे थैले में एक किलो आटे भरी शाम। बच्चों के साथ रोटी बांटती रात। मजदूर बीमार नहीं होते बुखार में भी सीमेंट से भरे तसले......