होली की अनंत शुभकामनाएँ
देखो होली आई
(गीत )
उड़ता है मद-भरा समीरण
देखो होली आई।
भले अंक में दुःख घनेरे
अंगों पर फिर भी रँग फेरे।
चले लिए पीड़ा वासंती
अभिलाषाओं से मन घेरे।
टेसू के फूलों की गंगा
हमने आज नहाई।
देखो होली आई।
आल्हादों में डूबे ये रँग
मन की पीड़ा को ढक लेते।
सतरंगी जीवन की चर्या
कुछ रोते हम कुछ हँस लेते।
होली के आने से सबके
दुःख हुए हैं राई।
देखो होली आई।
लाल गुलाल पीत रंगों में
पुलक लिए मन के अंगों में।
तन मन हुलस हुलस कर गाये
थिरक थिरक ढोलक चंगों में।
नव उल्लास न मिटने पाए
अपने मन से भाई।
देखो होली आई।
आप को सहपरिवार उल्लास पर्व होली की अनंत शुभकामनाएँ
सुशील शर्मा