नरसिंहपुर। कृषि विस्तार एवं सुधार कार्यक्रम- आत्मा परियोजना के नवाचार के अंतर्गत जिले में प्राकृतिक/ जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन जिले के चांवरपाठा विकासखंड के ग्राम दुधवारा में प्राकृतिक खेती करने वाले कृषक श्री कृष्णकुमार लोधी के कृषि प्रक्षेत्र पर हुआ। कार्यशाला में प्राकृतिक/ जैविक खेती करने वाले जिले के 50 कृषक व जैविक खेती में रूचि रखने वाले अन्य किसान, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग और आत्मा परियोजना का स्टाफ शामिल हुआ। कार्यशाला में विकासखंड/ ग्राम स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण व चयन/ कृषक वैज्ञानिक परिचर्चा हुई और प्रक्षेत्र भ्रमण किया गया।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 16 दिसम्बर 2021 को गुजरात में आयोजित प्राकृतिक खेती की कार्यशाला में देश के किसानों से प्राकृतिक खेती करने का आव्हान किया था। इस संबंध में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया। इसी क्रम में उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में विकासखण्ड में प्राकृतिक खेती के क्लस्टर विकसित कर इस पर कार्य करने की रणनीति तैयार की गई। कार्यक्रम में मौजूद प्रगतिशील किसानों द्वारा जैविक- प्राकृतिक खेती में आने वाली कठिनाईयां व अनुभव साझा किये गये।
कार्यशाला में उप संचालक कृषि राजेश त्रिपाठी, कार्यक्रम समन्वयक आरबी साहू और कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिये। उन्होंने विकासखण्ड व ग्राम स्तरीय रणीनीति तैयार करने के संबंध में किसानों से विचार- विमर्श किया।
कार्यशाला में कृषक कृष्ण कुमार ने बताया कि वे 8 वर्षो से 10 एकड़ रकबे में गौवंश आधारित गन्ना, अनाज व दलहनी फसलों की जैविक खेती कर रहे हैं। वे खेत- तालाब व गड्ढों के माध्यम से जल व मृदा का संरक्षण कर रहे हैं। उन्होंने अतिरिक्त आमदनी के लिए खेत की मेढ़ों पर सागौन व फलदार वृक्षों को लगाया है। वे स्वयं जैविक खाद तैयार कर खेती में इसका उपयोग कर रहे हैं।
चिरचिटा के कृषक कृष्णपाल लोधी ने बताया कि 10 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं। वे गन्ना, दलहन, अदरक का उत्पादन भी ले रहे हैं। उन्होंने गत वर्ष 42 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से जैविक गुड़ का उत्पादन किया। साथ ही एक एकड़ में 5.5 क्विंटल चना का उत्पादन लिया। वे 5 वर्ष पहले ही जैविक प्रमाणीकरण का रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। वे एक एकड़ की खेती से लगभग तीन लाख रूपये तक की आय ले रहे हैं।
कृषक अमित शर्मा ने बताया कि वे रूचि लेकर जैविक खेती कर रहे हैं। सेवानिवृत उप संचालक कृषि श्री नारौलिया ने बताया कि वे 15 वर्षो से जैविक गन्ना का उत्पादन ले रहे हैं। साथ ही दलहन की खेती भी कर रहे हैं। खेत में गन्ना कटने के बाद उसकी पत्तियों को नोजल लगाकर मेढों के कचरे के साथ खेत में मिलाकर छोड़ देते हैं, जो जैविक खाद का रूप ले लेता है, इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। उन्होंने गन्ना कटने के बाद खेत में नरवाई नहीं जलाने पर जोर दिया।
चीचली के कृषक कुलदीप कौरव ने बताया वे वर्मीकम्पोस्ट व अजोला स्वयं के खेत में बनाकर स्वयं उपयोग करते हैं और बेचते भी हैं। वे जैविक गेहूं व धान का उत्पादन ले रहे हैं।
बोहानी के कृषक अरूण शर्मा ने बताया कि वे गौवंश आधारित जैविक खाद गौकृपा अमृतम स्वयं तैयार कर उसका अपने 4 से 5 एकड़ के खेत में उपयोग कर रहे हैं।
पुरगवां के कृषक अशोक कुमार पटैल ने बताया कि वे 12 एकड़ में बांस के साथ हल्दी की अंतरवर्ती खेती कर रहे हैं। वे विभिन्न नस्लों की बकरियां, कड़कनाथ मुर्गी पालन करते है़। वे निराश्रित पशुओं की सेवा कर गौवंश आधारित जैविक खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि मेरे तीन मूल मंत्र हैं- देशी बीज का प्रयोग, मिश्रित खेती व बीजोपचार। इनका अनुसरण कर आसानी से रसायन मुक्त खेती की जा सकती है।
अन्य किसानों ने भी जैविक खेती के अनुभव बताये। उन्होंने जैविक उत्पादों की मार्केटिंग की समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट किया।