हर बार लिखूँगा ( जन कवि की कलम से ) पं.सुशील शर्मा
हर बार लिखूँगा जन जन की जो आवाजें हैं, एक नहीं सौ बार लिखूँगा। नहीं डरूँगा नहीं बिकूँगा, मैं ये सब हर बार लिखूँगा। शब्द शलाका कहती मुझ से, सरोकार जन जन के लिखना। खा लेना दो सूखी रोटी, जिंदा हो तो जिंदा दिखना। बेगारी की बात लिखूँगा, मक्कारी की......