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April 28, 2024
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बोलती कविता (विश्व कविता दिवस पर ) सुशील शर्मा

बोलती कविता
(विश्व कविता दिवस पर )
सुशील शर्मा

कविता एक पेंटिंग है
एक चित्र जो बोलता है
एक कविता वही कहती है।
जो उसे कहना चाहिए
कविता कभी वह नहीं कहती
जो उसे नहीं कहना चाहिए।

कविता मौन भी है
चीख भी है।
कविता अकेलेपन का सन्नाटा
और भीड़ का शोरगुल है।
कविता नीम भी है
ईख भी है।

कविता संगीत है
सिर्फ उन सात स्वरों का ही नहीं
उन मद्धिम अबोल सिसकियों का भी
जो बारूद की आग में
मिसायलों के वेग में
भूखी रातों में दम तोड़ देतीं हैं।
कवितायेँ टूटे मन
टूटे तन बिखरते जीवन
को भी जोड़ देतीं हैं।

कविता हमें रहस्य से बाहर निकाल कर
बताती है कि स्वयं को
अंधेरों में मत धकेलो।
कविता बताती है कि अंधानुकरण
और अज्ञानता को मत झेलो।
कविता बताती है कि
बाहर की ओर मुख करने का
समय आ गया है ,
पूर्ण कमल की स्थिति में
खुली आँखों से,
मुँह खोलने का समय आ गया है।

कविता सिखाती है कि
औद्योगिक सभ्यता
पृथ्वी और मनुष्य के लिए
हानिकारक है।
कविता बताती है कि संवेदनाएं मर रहीं है
सभी संवेदनशील प्राणियों के लिए
ये समय बहुत मारक है।

आज कवितायेँ भटक रहीं है भाव से दूर
कटे -फ़टे अव्यहारिक यथार्थवादी
शयनकक्ष में कल्पनाशील
जो ए सी में बैठकर
मजदूरों की बिडम्वनाएँ लिखते हैं।
जो एजेंडा बना कर तंत्र के साथ
या तंत्र के विरोध को
उत्साहित करते हुए दिखते हैं।

कविता सिर्फ कविता है और कुछ नहीं
कविता माता का संतान को जन्म देना है।
कविता एक सतत जलधारा है जो
बहती है समुद्र में मिल जाने तक।
कविता मानवीय भावनाओं
और मनोदशाओं को
पढ़ना और प्रकट करना है।
एक चट्टान को
सुंदर भगवान में तराशना है
एक बड़े कैनवास पर
पेंटिंग करना है।

कविता निर्वाण के लिए
ध्यान यात्रा है।
कविता जीवन को उसके सभी रंगों
और रोशनी में जीवंत करने की
अनुमापन मात्रा है।
कविता उतार चढ़ाव,
सुख और दुख का चित्र है
कविता शांति और आनंद का
अनुभवी मित्र है।

कविता का उद्देश्य हमें याद दिलाना है
कितना मुश्किल है
सिर्फ एक इंसान रहना।
कवितायेँ हमें अनंत आकाश सी
विस्तारित करतीं हैं।
कविताएँ हमें
असहनीय दबाव में केवल
आशा की ओर संचारित करतीं हैं।

कविता स्वयं में खो कर
स्वयं को ढूँढ़ने का पथ है।
कविता मृत्यु पर विजय प्राप्त करने
का शौर्य रथ है।

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