पुरानी पेंशन- सामाजिक सुरक्षा के लिए संजीवनी।
पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी. यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी. इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी. हालांकि, इस स्कीम को 1 अप्रैल 2004 में बंद करके इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme) से बदल दिया गया है.
अधिकतर सरकारी कर्मी पुरानी पेंशन व्यवस्था को इसलिए बेहतर मानते हैं क्योंकि यह उन्हें अधिक भरोसा उपलब्ध कराती है. जनवरी 2004 में एनपीएस लागू होने से पहले सरकारी कर्मी जब रिटायर होता था तो उसकी अंतिम सैलरी के 50 फीसदी हिस्से के बराबर उसकी पेंशन तय हो जाती थी. ओपीएस में 40 साल की नौकरी हो या 10 साल की, पेंशन की राशि अंतिम सैलरी से तय होती थी यानी यह डेफिनिट बेनिफिट स्कीम थी. इसके विपरीत एनपीएस डेफिनिट कांट्रिब्यूशन स्कीम है यानी कि इसमें पेंशन राशि इस पर निर्भर करती है कि नौकरी कितने साल किया गया है और एन्यूटी राशि कितनी है. एनपीएस के तहत एक निश्चित राशि हर महीने कंट्रीब्यूट की जाती है. रिटायर होने पर कुल रकम का 60 फीसदी एकमुश्त निकाल सकते हैं और शेष 40 फीसदी रकम से बीमा कंपनी का एन्यूटी प्लान खरीदना होता है जिस पर मिलने वाले ब्याज की राशि हर महीने पेंशन के रूप में दी जाती है.
पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी स्कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है।
पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है।
पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है।
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कटौती नहीं होती है।
नई और पुरानी पेंशन योजना का कर्मचारियों की पेंशन पर बड़ा अंतर है। इसे ऐसे समझें कि अगर अभी 80 हजार रुपये सैलरी पाने वाला कोई शिक्षक रिटायर होता है तो पुरानी पेंशन योजना के हिसाब से उसे करीब 30 से 40 हजार रुपये की पेंशन मिलेगी। वहीं अगर नई पेंशन योजना के हिसाब से देखें तो उस शिक्षक को बमुश्किल 800 से एक हजार रुपये की ही पेंशन मिलेगी।
जहाँ सरकार ये दावा करती है कि पुरानी पेंशन देश पर कर्जे का बोझ डालेगी वहीं कर्मचारी इसे बुढ़ापे की लाठी कह रहे हैं।
सुशील शर्मा