रिपोर्टर -अनिल जैन, सीहोरा
सीट आरक्षित हुई तो सिहोरा का नाम तक नही लेते पुराने नेता,जिला सिहोरा की अंतिम अधिसूचना की बात रखने वाला तक कोई नही
सिहोरा:- जिन नेताओं को सिहोरा ने विधायकी सहित उच्च स्थान तक पहुँचाया उन सारे नेताओं ने विधानसभा सीट के आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होते ही सिहोरा का नाम लेना तक छोड़ दिया।यही कारण है कि 20 वर्ष पहले जिला बनने की सारी विभागीय प्रक्रिया पूर्ण कर लेने के बाद भी सिहोरा जिला नही बन सका है।आज सिहोरा जिला की अंतिम अधिसूचना के प्रकाशन की बात तक करने वाला कोई नही।वर्तमान विधायक तो खुलकर कहती है कि सिहोरा जिला उनका मुद्दा ही नही है।
सिहोरा छोड़ गए नेता:- 2003 में सिहोरा विधानसभा सीट सामान्य से आरक्षित सीट हो गई।सीट के आरक्षित होते ही पूर्व विधायकों ने सिहोरा की राजनीति से अपना नाता तोड़ दिया।पूर्व कांग्रेस विधायक और राज्य मंत्री रही श्रीमती मंजू राय भोपाल में रहने लगी तो विधायक नित्यनिरंजन खम्परिया सिहोरा छोड़ जबलपुर रहने लगे।यही हाल भाजपा का रहा पूर्व विधायक स्व प्रभात पांडे ने कटनी जिले की बहोरीबंद विधानसभा का रुख किया तो उनके निधन के बाद उनके पुत्र प्रणय पांडे भी बहोरीबंद को अपना क्षेत्र बना लिया।आज प्रणय पांडे बहोरीबंद से भाजपा विधायक है।इसी प्रकार भाजपा के पूर्व विधायक दिलीप दुबे भी बहोरीबंद क्षेत्र में ही अपना समय दे रहे है।देखा जाए तो जिन भी लोगो ने सिहोरा से सब कुछ पाया उन्होंने अब सिहोरा को ऐसे ही अकेला छोड़ दिया।
अंतिम अधिसूचना जारी नही हुई- वर्ष 2001 से 2003 के बीच सिहोरा के जिला बनने की समस्त विभागीय प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी सिर्फ अंतिम अधिसूचना का प्रकाशन होना था।जो 20 वर्ष बाद भी न हो सका।2004 से सीट आरक्षित क्या हुई सामान्य वर्ग के पूर्व नेताओं ने सिहोरा को त्याग दिया।