गुरु जी के सपनों का भारत निरंतर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है…
आज हमने *सिमरी देवीसींग, गांव में 5 हथकरघे दिए हैं, वहां पर पहले से किसी को भी हथकरघा चलाना नही आता था। इस गांव से आये इन युवाओं को हमने लगभग डेढ़ से दो महीने प्रशिक्षण दिया, जब वो अच्छे से चलाना सीख गए, और उन्होंने कई बार हम से निवेदन किया कि भैया आप हमको घर पर हथकरघा दे दो, हम पूरी इमानदारी से, लगन से, काम करेंगे और अपने गांव के लोगों को भी सिखाएंगे, तब हमने सोचा कि ये 18 किलोमीटर दूर से आते हैं, और जिस सड़क से आते हैं, वो भी कच्ची है, बरसात होने के कारण उस सड़क पर, बहुत ज्यादा कीचड़ हो जाती है जिस वजह से इन्हें बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ता है, इन को घर पर हथकरघा दे देते हैं।
इन युवाओं को प्रोत्साहन देने के लिए उनके गांव से बहुत सारे लोग आये थे, हथकरघा ले जाने के लिए, इनके पिताजी इनके मित्र और वो लोग जो हथकरघा सीखना चाहते हैं।