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May 3, 2024
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सामाजिक

नरसिंहपुर ,ध्वनि प्रदूषण के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप कार्यवाही के लिए उड़नदस्तों का गठन

ध्वनि प्रदूषण के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप कार्यवाही के लिए उड़नदस्तों का गठन

राज्य शासन के गृह विभाग के माध्यम से धार्मिक स्थलों एवं अन्य स्थानों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउड स्पीकर/ डीजे/ संबोधन प्रणाली) के नियंत्रण व नियम विरूद्ध प्रयोग पर नियंत्रण/ कार्रवाई के लिए विस्तृत दिशा- निर्देश जारी किये गये है। इन निर्देशों के परिपालन में विभिन्न धर्म स्थलों में निर्धारित डेसिबल का उल्लंघन करते हुए लाउड स्पीकर का उपयोग किया जा रहा है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय एवं हरित अधिकरण (एनजीटी) के दिशा- निर्देश, ध्वनि प्रदूषण विनियमन और नियंत्रण नियम 2000 तथा मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 के प्रावधानों के सम्यक अनुपालन के लिए ध्वनि प्रदूषण विनियमन और नियंत्रण नियम 2000 के नियम के अनुसार नियमावली के शेड्यूल में Anbient Air Quallty Standards in respect of Noise के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों जैसे औद्योगिक, वाणिज्यिक, रिहायसी व शांत क्षेत्रों में दिन व रात के समय अधितम ध्वनित तीव्रता निर्धारित की गई है। जिसके अनुसार औद्योगिक क्षेत्र के तहत दिन के समय 75 व रात्रि के समय 70, वाणिज्यिक क्षेत्र के तहत दिन के समय 65 व रात्रि के समय 55, रिहायसी क्षेत्र के तहत दिन के समय 55 व रात्रि के समय 45 और शांत क्षेत्र के तहत दिन के समय 50 और रात्रि के समय 40 की लिमिट का निर्धारण किया गया है।

जिला दंडाधिकारी सुश्री ऋजु बाफना ने जिले की समस्त तहसील क्षेत्रों के लिए ध्वनि मानकों को क्रियान्वित करने के प्रयोजन के लिए औद्योगिक, वाणिज्यिक, आवासीय या शांत क्षेत्रों/ परिक्षेत्रों के क्षेत्रों को वगीकृत कर मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जावे तथा कार्यवाही से कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी और क्षेत्रीय कार्यालय मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अवगत कराया जावे।

जिला दंडाधिकारी सुश्री ऋजु बाफना ने ध्वनि प्रदूषण के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप कार्यवाही करने के लिए जिले में उड़नदस्तों का गठन किया है। उड़नदस्ता दल में संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार/ नायब तहसीलदार (जिला प्रशासन द्वारा नामित अधिकारी), संबंधित थाना क्षेत्र के थाना प्रभारी, संबंधित क्षेत्र के नगर पालिका अधिकारी व मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर द्वारा नामित अधिकारी/ कर्मचारी शामिल होंगे।

उक्त उडनदस्ते द्वारा नियमित एवं आकस्मिक रूप से निर्धारित उपकरणों के साथ ऐसे धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थानों को औचक निरीक्षण करेंगे, जहां ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग होता हो तथा प्राप्त शिकायतों की आकस्मित जांच की जावे तथा नियमों का पालन सुनिश्चित करें।

उड़नदस्ते द्वारा जांच के निर्देश प्राप्त होने पर तत्काल जांच कर अधिकतम 03 दिवसों के अंदर समुचित जांच प्रतिवेदन संबंधित प्राधिकारी अनुविभागीय दण्डाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

संकलित साक्ष्य एवं उड़नदस्ते द्वारा की गयी प्रारंभिक जांच प्रतिवेदन एवं उपलब्ध तथ्यों के आधार पर समुचित प्राधिकारी नियमों के उल्लंघनकर्ता प्रबंधक/ संबंधित व्यक्ति को समुचित सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुये अविलम्ब विधिवत नोटिस जारी करने की कार्यवाही की जावे। अनावेदक को सुनवाई का अवसर देने के उपरांत प्राधिकारी/ मजिस्ट्रेट यथावश्यक धारा 133 दण्ड प्रक्रिया संहिता, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के सुसंगत प्रावधानों, मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियिम 1985 के सुसंगत प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही विधिवत सुनिश्चित की जावेगी।

सक्षम प्राधिकारी/ मजिस्ट्रेट को अपने समक्ष प्रचलित उक्त समस्त कार्यवाहियों में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अन्तर्गत तलाशी, जप्ती, साक्ष्य अभिलेखन, आदेशिकायें निर्गत करने की समस्त शक्तिया प्राप्त हैं।

बतौर प्राधिकारी यदि मजिस्ट्रेट प्रकरण में यथास्थिति धारा 188 व 190 भा.द.स. अथवा पर्यावरण सरंक्षण अधिनियम की धारा 15 कोलाहल नियंत्रण अधिनियम एवं अन्य किसी सुसंगत प्रावधान में अभियोजन की कार्यवाही को समुचित पाता है, तो समुचित प्राधिकारी अथवा उड़नदस्तें के प्रभारी को जैसा भी वह समुचित समझे, प्रकरण में यथास्थिति प्रथम सूचना रिपोर्ट अथवा सक्षम न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने हेतु आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये जा सकेंगे।

प्राधिकारी यदि पाता है कि प्रकरण में शिकायत मिथ्या भी या लघु प्रकृति की है, तो अभिलिखित किये जाने वाले कारणों का उल्लेख करते हुये किसी भी शिकायत में संक्षित प्रक्रिया अपनाते हुये प्रकरण निक्षेपित किया जा सकेगा।

जिले के समस्त उड़नदस्तों के लिए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी को नोडल अधिकारी को नियुक्त किया गया है। समस्त उडनदस्तों द्वारा अपनी औचक जांचों की मासिक रिपोर्ट संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारियों के माध्यम से नोडल अधिकारी अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी को भेजेंगे।

जिले के समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी अपने क्षेत्रों के समस्त संबंधित धर्म गुरूओं से संवाद व समन्वय के आधार पर अवैध लाउडस्पीकरों को हटाये जाने की कार्यवाही करेंगे। निर्धारित डेसिबल का अनुपालन कराया जाना सुनिश्चित करेंगे। ऐसे धर्मस्थलों की थानावार सूची बनायी जावे, जहां उक्त नियमों/आदेशों का अनुपालन होना नहीं पाया जाता है। इसकी साप्ताहिक समीक्षा टीएल बैठक में की जावेगी।

ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के नियम के अनुसार नियमावली के शेड्यूल में अंकित अनुमत्य अधिकतम ध्वनि सीमा (डेसिबल में) के अन्तर्गत ध्वनि मानकों के प्रावधानों का पालन करते हुए सामान्यतः मध्यम आकार के अधिकतम 02 डीजे के प्रयोग को ही अनुमत्य किया जावे। डीजे व लाउडस्पीकर की विधिवत अनुमति संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी/ कार्यपालिक दण्डाधिकारी (तहसीलदार/ नायब तहसीलदार) द्वारा प्रदान की जावेगी।

किसी भी संस्था/व्यक्ति द्वारा ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000 यथासंशोधित के प्रावधानों का पालन करते हुए ही ध्वनि विस्तारक यंत्र/ लाउडस्पीकर/ डीजे का प्रयोग किया जा सकेगा। ऐसे कार्यक्रम जिसमें नियमों का पालन न करते हुए डीजे या ध्वनि विस्तारक यंत्रों का अनियंत्रित रूप से प्रयोग किया जाता है, उनके आयोजकों के विरूद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जावेगी।

यदि पाया जाता है कि किसी शासकीय अधिकारी/ कर्मचारी, जिसका ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम 2000, यथासंशोधित के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराने का दायित्व था, परन्तु उसके द्वारा ऐसा न करने के कारण किसी धार्मिक स्थल/सार्वजनिक स्थल अथवा कार्यक्रम में नियम विरूद्ध ध्वनि विस्तारक यंत्र/ लाउडस्पीकर/ डीजे प्रयोग में लाया गया हो, तो जिम्मेदार अधिकारी/ कर्मचारी के विरूद्ध यथोचित अनुशासनात्मक कार्यवाही सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जावेगी। उक्त निर्देशों का निरंतरता के साथ कडा़ई से पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये हैं।

 

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