नववर्ष
गीत
शुभआगमन नव वर्ष का है
आल्हादित मन मोर।
नए वर्ष की भोर सुहानी
जीवन नवल प्रभात हो।
हर मन में हो नेह समंदर
अपनेपन की बात हो।
जो बीता है उसको त्यागो
मन आगत की ओर हो।
नए स्वप्न हों नई उमंगे
संकल्पों का जोर हो।
ज्ञान मलय की गंध सुवासित
ऊर्जित मन के छोर।
क्रोध अहं विद्वेष छोड़ दो
अपनेपन की जीत हो।
नया जोश उल्लास नया हो
मानवता से प्रीत हो।
नैतिकता के पाठ पढ़ें हम
सद्भावित हर गीत हो।
शिक्षा का उजियारा फैले
अन्यायी भयभीत हो।
नूतन नव निष्कर्ष सुहाने
सपने नवल किशोर।
नहीं पेड़ अब काटे जाएँ
संधारित अब नीर हो।
नदियों को अब हम नहिं लूटें
पर्यावरण प्रवीर हो।
नवल राह हो नवल चाह हो
अभिनंदन नव वर्ष का।
मुदित मोद हर मन आँगन हो
मौसम आया हर्ष का।
अभिनंदन नववर्ष तुम्हारा
पुलकित विभा विभोर।
आप सभी नए वर्ष में सिद्धि, प्रसिद्धि,ऐश्वर्य,सुकर्म पथ पर अविरल गतिमान रहें।
सुशील शर्मा