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May 4, 2024
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नरसिंहपुर,भ्रष्टाचार तथा गबन के 11 आरोपियों को सश्रम कारावास.बैंक में दस्तावेजों में की थी हेरा फेरी, लोन में फर्जी नामों का किया था उपयोग में

भ्रष्टाचार तथा गबन के 11 आरोपियों को सश्रम कारावास.बैंक में दस्तावेजों में की थी हेरा फेरी, लोन में फर्जी नामों का किया था उपयोग में

 

नरसिंहपुर । न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम नरसिंहपुर अखिलेश कुमार धाकड़ के न्यायालय द्वारा एक साथ 11 आरोपियों संतोष पटेल, सोमनाथ सिंह, राजाराम लोधी, गोविंद गोंड, भूपेन्द्र सिंह, बैनी सिंह पटेल, गोविंद लोधी, धनीराम उर्फ कंचन सिंह, श्यामलाल, नरेन्द्र कुमार लोधी एवं रामदास लोधी को दोषसिद्ध पाते हुये दंडित किया गया है।

न्यायालय में अभियोजन के जिला मीडिया सेल प्रभारी आदित्य तिवारी ने बताया कि मनोज रस्तोगी क्षेत्रीय प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक, क्षेत्र-2 क्षेत्रीय कार्यालय, विजय नगर जबलपुर की शिकायत के आधार पर उप पुलिस अधीक्षक एस. एस. शुक्ला द्वारा की गई जांच पर राज्य आर्थीक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा प्राथमिक जांच क्रमांक 19/2010 पंजीबद्ध की गई। जांच पर दीपक दीवान जो 5.6.2006 से 5.5.2009 तक भारतीय स्टेट बैंक कृषि विकास शाखा नरसिंहपुर में पदस्थ थे, ने अपने कार्यालय में लगभग 800 ऋण प्रकरणों को अनुचित रूप से ऋण स्वीकृत करने की कार्यवाही की । आरोपी दीवान ने जिम्मेदारी का निर्वहन न करते हुये बाहरी व्यक्ति संतोष पटेल के साथ मिलकर षडयंत्र रचकर फर्जी दस्तावेजों एवं हेराफेरी करके ऋण लेने वाले किसानों को लोन स्वीकृत कराने में सहयोग करने के लिये एवं क्षेत्राधिकारी अभियुक्त दीवान के लिये राशि प्राप्त करना, जिस कार्य के लिये ऋण प्राप्त किया गया है उस कार्य के लिये राशि का उपयोग न करना तथा संतोष पटेल नामक व्यक्ति के नाम से कई ऋण राशियां स्वीकृत करना और करवाना तथा संतोष पटेल के रिश्तेदारों के नाम से ऋण राशि स्वीकृत कराकर बैंक द्वारा प्रसारित नियमों की अवहेलना करना व ऋण स्वीकृति पूर्व निरीक्षण एवं ऋण स्वीकृति पश्चात ऋण राशि प्राप्त करने के बाद किये जाने वाले उपयोगिता निरीक्षण जो ऋण प्राप्तकर्ता कृषक के द्वारा बताये गये परिसर में किया जाता है, न करते हुये स्वयं को अनाधिकृत लाभ पहुंचाते हुये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कृषि विकास शाखा नरसिंहपुर को रुपये 49,75,422/- की अनुचित क्षति पहुंचाने का अपराध किया। उक्त कृत्य किये जाने के संबंध में जांच अधिकारी पी.के. वर्मा एवं केन्द्रीय निरीक्षण दल के सदस्य पी. मोहन एवं अन्य के द्वारा की गई कार्यवाही में यह तथ्य प्रकट हुये। अनुसंधान पर यह पाया गया कि आरोपीगण ने षडयंत्र पूर्वक एक दूसरे का सहयोग कर अन्य खातेदारों के नाम से हेराफेरी कर राशि को आहरित किया, ऐसे लोगों के नाम राशि आहरित की गई जो गांव में उपलब्ध नहीं है अर्थात गुमनाम प्रकरण बनाकर धोखाधड़ी की । बैंक की धनराशि में हेराफेरी कर छल एवं धोखाधड़ी का अपराध किया । उक्त शिकायत के आधार पर आरक्षी केन्द्र आर्थीक अपराध अन्वेषण ब्यूरो जबलपुर के द्वारा मामले की संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय में शासन की ओर से मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक रामकुमार पटेल द्वारा की गई।

अभियोजन के द्वारा साक्षियों का परीक्षण कराया गया। विशेष न्यायाधीश अत्याचार निवारण अधिनियम अखिलेश कुमार धाकड़ द्वारा आरोपियों संतोष पटेल, सोमनाथ सिंह, राजाराम लोधी, गोविंद , भूपेन्द्र सिंह, बैनी सिंह पटेल, गोविंद लोधी, धनीराम उर्फ कंचन सिंह, यामलाल, नरेन्द्र कुमार लोधी एवं रामदास लोधी को दोषसिद्ध पाया गया है और आरोपी सोमनाथ को धारा 13 (1) (घ) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के आरोप में 5 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 700 रुपये के अर्थदंड तथा 420 भादंवि के आरोप में 4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500 रुपये के अर्थदंड तथा 120बी भादंवि के आरोप में 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 700 रुपये के अर्थदंड से एवं अन्य अभियुक्तों को पृथक-पृथक धारा 120बी भादंवि के आरोप में 5.5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1 रुपये के अर्थदंड से, धारा 467 भादंवि के आरोप में 5-5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 700 -700 रुपये के अर्थदंड से एवं धारा 420 भादंवि के आरोप में 4.4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500 500 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।

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