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May 6, 2024
ADITI NEWS
धर्म

गाडरवारा ,माँ बंजारी स्त्रोत (नवरात्रि पर्व पर विशेष) जो यह स्त्रोतम को ध्यावे ,वो सब मन वांछित फल पावे

माँ बंजारी स्त्रोत

दोहा

मातु भवानी अम्बिके ,बंदहु पदम पराग।

चरण भक्ति मन देहु अब ,कर सुत पर अनुराग। 1

चौपाई

जय जय जय बंजारी माता ,जयो जय त्रिभुवन सुख दाता। 1

मृदुल गात मुख चंद्र स्वरूपा ,नेत्र विशाल ललाट अनूपा।2

 

ह्रीं श्रीं क्लीं तुम मेधा धारी ,अमर अनूप अपरा अविकारी। 3

सृष्टि स्वधा सुखदा शुभकारी ,शुभम सत्य सब संकट हारी।4

 

कनक वर्ण मुख तेज विराजे ,स्वर्णकांति गौरी मुख साजे।5

महा मंगला काल कृपाली ,जय बंजारी महा कराली।6

 

सिंह वाहनी तुम विजयासन ,जय अम्बे सकल दुःख नाशन। 7

चतुर्भुजा कर शूल धारिणी ,तुम सर्वज्ञ पाप निवारणी।8

 

जगत जननि जय जय जगदम्बा,अगम अनादि अगोचर अम्बा। 9

कवच अर्गला कीलक रूपा ,माँ तुम हो सर्वस्य स्वरूपा।10

 

सर्वेश्वरी रक्ष सब ओरा ,संकट काटो मम सब घोरा। 11

दस मुख दस चरणों से युक्ता ,चण्डी काली दिव्य विमुक्ता। 12

 

महिषासुर का मर्दन कीन्हा ,अभय मनुज देवों को दीन्हा।13

सुर वन्दित सिद्धी की दाता ,जया नाम अति मोक्ष प्रदाता। 14

 

महासरस्वती भीमा नंदा ,भ्रामर बीज अनुष्टुप छन्दा। 15

शरद ऋतु शोभा सम्पन्ना ,चंद्र मनोहर कान्त प्रपन्ना। 16

 

नागासन पर बैठी माता ,पद्मावती जगत विख्याता।17

चण्ड मुण्ड को रण में मारा ,माँ मातंगी परम अपारा। 18

 

रक्तबीज घातक कल्याणी ,असुर निकंदनि शुभ सत वाणी।19

कर में पाशांकुश को धारे, शुम्भ निशुम्भ असुर संहारे। 20

 

दुर्गा, भीमा, भ्रमर, सुजाता ,शाकम्भरी, शताक्षी माता। 21

मन मतंग मुद मंगल दाता ,अति शुचि पावन भाग्य विधाता। 22

 

शास्वत सत्य सनातन वाणी ,जयति जयति जय त्रिभुवन रानी।23

ज्ञान बुद्धि तुम सुख की दाता ,रिद्धि सिद्धि सब तुमसे माता। 24

 

तुम ही हो सब सुख की मूला ,सुमरत ही सब कटते शूला। 25

आयु ,धान्य धन, देने वाली ,पुत्र पौत्र ,यश की रखवाली। 26

 

जो तुमको मन से है ध्याता ,बिन माँगें वो सब पा जाता। 27

सदा वत्सले सब की माता ,तुम सर्वज्ञ ज्ञान की दाता। 28

 

महालक्ष्मी स्वर्ण सुजाता, हिरण्मयी अविनाश अजाता।29

कांतिमयी माँ कमल सदृश्या ,अति रमणीय वत्सला दृश्या।30

 

कमला कांता गौरी अम्बा ,हे कमलाक्ष परम जगदम्बा। 31

सभी मनोरथ की तुम स्वामी ,भुवनेश्वरी भक्त अनुगामी।32

 

खड्गधारणी शूलधारणी ,माँ तुम हो सब पाप हारणी। 33

मेधा स्वधा वरा कंकाली ,हे माता बंजारी वाली। 34

 

जय माँ बंजारी अति पावन ,संकट दुःख दारिद्र नशावन।35

माँ बंजारी पतित पावनी ,सकल पाप हर मोक्ष दायनी। 36

 

कृपा कटाक्ष करो महारानी ,माँ बंजारी औघड़दानी।37

सत्य सुलभ दरबार तुम्हारा ,भक्त सुशील चरण पैसारा। 38

 

हम सब तुम पर हैं अवलम्बा ,क्षमा करो पुत्रों को अम्बा। 39

जो यह स्त्रोतम को ध्यावे ,वो सब मन वांछित फल पावे।40

दोहा

माँ बंजारी धाम की, अनुपम छटा अनूप।

सकल कामना सिद्ध हों ,दर्शित दिव्य स्वरुप।। 2

पंडित सुशील विरचितं श्री बंजारी स्त्रोतम श्री चरणापर्णम

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