*जब तक भारत में खादी है तब तक भारत वासियों के यादों में गांधी है – मुनि श्री निरंजन सागर महराज*
कुंडलपुर। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने कहा कि खादी को भूलकर हम गांधी जी के सपनों के,भारत का निर्माण नहीं कर सकते। खादी शब्द अपने आप बता रहा है कि अगर आप नैतिक मूल्यों की ऊंचाइयों को छूना चाहते हैं तो खादी को अपनाएं। खा का अर्थ आकाश और आदि का अर्थ प्रारंभ से। अर्थात सतयुग के प्रारंभ से आकाश के समान जीवन को ऊंचा उठाना यही खादी की पहचान है। खादी का इतिहास जानने से पता चलता है कि किस तरह का जीवन उस स्वर्णिम भारत के लोग जिया करते थे।गांधीजी किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं है गांधीजी एक व्यक्तित्व विशेष का नाम है गांधीजी एक चिंतन है विचार हैं गांधीजी को व्यक्ति के रूप में याद करना और उनके विराट व्यक्तित्व को याद ना करना यह सही नहीं है हम गांधी जी को तो मानते हैं परंतु गांधीजी की नहीं मानते हो जिस ग्राम स्वराज की परिकल्पना जिस नैतिक विकास की परिकल्पना जिस स्वदेशी भारत की परिकल्पना गांधी जी के चिंतन में थी। उनको साकार करें बिना हम गांधी जी के साथ कैसा न्याय कर रहे है। आत्मनिरभरता के तीन ही आधार है रोटी,कपड़ा और मकान अर्थात स्वदेशीता पूर्ण हमारा खान-पान स्वदेशीता पूर्ण हमारा पहनावा, स्वादेशिता पूर्ण हमारा रहन सहन हों जब तक हम पूर्ण रुप से स्वादेशिता नहीं अपनाएंगे तब तक हम पूर्ण स्वराज्य को नहीं पा पाएंगे अगर हम सही मायने में गांधी जी को अपने श्रद्धा सुमन प्रकट करना चाहते हैं तो हमें स्वाधीनता की और वापस जाना होगा जिससे उनका त्याग उनकी साधना उनका चिंतन सार्थक होगा आज गांधीजी के प्रति व्यक्ति कुछ पंक्तियां रखकर हम उनका स्वप्न पूरा नहीं कर सकते हैं जिस सत्य अहिंसा को गांधीजी ने जाना, अपनाया और उसका सभी को उपदेश दिया। वह सत्य अहिंसा वह स्वदेशीता, वह ग्राम स्वराज आज खोता हुआ दिखता है क्या हम गांधी जी के कार्यों को उनके विचारों को जन-जन तक नहीं पहुंचा सकते,अगर पहुंचा सकते हैं तो जरूर प्रयास करना चाहिए उक्त विचार मुनि श्री निरंजन सागर महाराज जी ने महात्मा गांधी पुण्य स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित गोष्ठी में रखें ।