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May 6, 2024
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सामाजिक

महिला पत्रकारों में अपने जज्बे और जुनून से इस चौथे स्तंभ को सशक्त किया पत्रकार और उभरती लेखिका कीर्ति सिंह ने

महिला पत्रकारों में अपने जज्बे और जुनून से इस चौथे स्तंभ को सशक्त किया पत्रकार और उभरती लेखिका कीर्ति सिंह ने।

पत्रकारिता के क्षेत्र में हरास की खबरें खूब देखने सुनने को मिलती रही हैं।लेकिन महिला पत्रकारों ने अपने जज़्बे और जुनून से इस चौथे खंबे को और भी सशक्त किया है।वे हमेशा आलोचनाओं से दूर अपनी कलम चलाती रहीं।उनके योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता।इसी कड़ी में एक नाम है कीर्ति सिंह का जो अपने परिश्रम,साहस और संघर्ष से न केवल पत्रकारिता का मान बढ़ा रही हैं बल्कि समूचे भारत में अब एक लेखिका के रूप में भी परचम लहरा रही हैं।हमारे संवाददाता आशीष नेमा ने हाल ही में उनसे बातचीत की उसके कुछ अंश प्रस्तुत है:

प्रश्न 1 -कीर्ति आपने अपने नाम की तरह ही खूब यश प्राप्त किया है अब तक का सफर कैसा रहा और कितना संघर्ष भरा रहा?

उत्तर: मैं एक शिक्षित मध्यवर्गीय परिवार से हूं। मन में आगे बढ़ने की उमंग थी।लीक से अलग हटकर कुछ करना चाहती थी।इसलिए पत्रकारिता की राह पकड़ी.।सफर संघर्ष भरा तो रहा लेकिन आगे बढ़ने की उम्मीद ने साहस दिया।

प्रश्न 2 -अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में थोड़ा बताइए?

उत्तर:मेरा जन्म मध्यप्रदेश के शिवपुरी ज़िले में हुआ।पिताजी मध्य प्रदेश सरकार में उच्च सरकारी अधिकारी रहे तो शिक्षा भी मध्यप्रदेश के अलग अलग शहरों में हुई।

परिवार में पाँच भाई बहनों में सबसे छोटी थी तो जल्दी शादी का कोई दबाव नहीं था पढ़ाई लिखाई का मौक़ा मिलता गया।

ग्वालियर से कॉमर्स में मास्टर्ज़ किया।उसके बाद जीवाजी विश्वविध्यालय से पत्रकारिता में एक साल का पीजी डिप्लोमा किया।उस वक्त पत्रकारिता विषय में लोगों का रुझान या झुकाव बहुत ज़्यादा नहीं था।

प्रश्न 3-आपके करियर में कितने उतार चढ़ाव रहें।जरा उसके बैरन में खुलकर बताएं?

उत्तर:पढ़ाई के दौरान ही दैनिक भास्कर और नई दुनियाँ के साथ रिपोर्टर के रूप में काम करने का मौक़ा मिला पर आगे पढ़ाई जारी रखनी थी तो मम्मी पापा से अनुमति लेकर आगे की पढ़ाई के लिए 2006 में दिल्ली चली आई। यहां जागरण इंस्टीट्यूट से एक साल का पत्रकारिता में पी.जी.डिप्लोम किया।उसके बाद IBN7 से इंटर्न्शिप की।

मैं पढ़ाई में अच्छी थी तो नौकरी के प्रस्ताव भी मिलने लगे।ईटीवी और IBN7 से नौकरी का प्रस्ताव मिला। साथ में रेड एफएम से भी ऑफर आ गया तो मैं ट्रेनिंग के लिए जयपुर चली गई। जहाँ से मेरी करियर की विधिवत शुरुआत हुई।

प्रश्न 4- जीवन की दूसरी पारी की शुरुआत अर्थात वैवाहिक जीवन और करियर में सतुलन कैसे साधा?

उत्तर:केरियर के दौरान परंपरा का निर्वहन करते हुए शादी का फैसला लिया ।वर्ष 2009 में शादी हुई और मैं स्थायी रूप से इंदौर आ गई ।लेकिन क़िस्मत ने कुछ और ही सोच रखा था। जल्द ही न्यूज़ एंकर बनने का अवसर मिल गया।इंदौर के लगभग सभी अच्छे न्यूज़ चैनल में काम किया और मान सम्मान भी कमाया।कई सारे सम्मान भी मिले उत्कृष्ट काम के लिए।यशिका न्यूज़ की ओर से सर्वश्रेष्ठ एंकर,सांध्य दैनिक अख़बार की और से वरिष्ठ पत्रकार,प्रेस क्लब की ओर से भी कई बार सम्मान मिला।एक साहित्यकार के तौर पर भी हिंदी रक्षक मंच द्वारा दो बार सम्मानित किया गया।डीएवीवी यूनिवर्सिटी,प्रेस्टीज कॉलेज और सेज यूनिवर्सिटी द्वारा भी सम्मानित किया गया।

प्रश्न 5-मौजूदा वक्त में क्या कर रही है और भविष्य के क्या इरादें है?

उत्तर:करोना महामारी के कारण जब पूरी दुनियाँ बहुत बुरे दौर से गुज़र रही थी।लाखों लोगों ने अपनो को खो दिया। मेरा परिवार भी इसी महामारी की ज़द में आया और मैंने नौकरी छोड़ने का मन बना लिया। बाहर निकल पाना उस समय असम्भव था। इसी बीच डीएवीवी यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में मास्टर्स भी किया।उस कठिन समय में मुझे मेरे जीवन साथी का साथ मिला।एकांत के क्षणों ने कलम को नई दिशा दी और इस तरह सफ़र शुरू हुआ एक लेखक बनने का।पता नहीं था कि एक लेखक, शायर के रूप में इतना प्यार मिलेगा।ये सफ़र जारी है और जारी रहेगा।

प्रश्न 6 -आगे की क्या योजनाएं है?

उतर:फ़िलहाल रेनेसा यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी.कर रही हूँ।प्रेस्टीज कॉलेज में जर्नलिज़्म के बच्चों को भी पढ़ाती हूँ और साथ ही अपनी लेखनी पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करना चाहती हूं।कुछ मुद्दे और कुछ किताबें अपने खाते से जुड़ जाए और पाठकों का प्यार मिलता रहें बस यही इच्छा है।आगे समाज सेवा से भी जुड़ने का इरादा है।देखते है भविष्य की डोर कहां कहां ले जाती है।

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