गाडरवारा नगर का खेरापति माता का मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर है । जब गाडरवारा में गोंडवाना रियासत राज करती थी तब यह मंदिर छोटी सी झोपड़ी के रूप में स्थापित किया गया था जिसमें आधा फुट की देसी पत्थर की प्रतीक रूप में प्रतिमा स्थापित की गई थी उसके बाद नगर के सहयोग से 1940 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया जिसमें प्रतिवर्ष चैत नवरात्रि की एकम से पूर्णिमा तक नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है जिसमें सप्तमी के दिन मां दुर्गा की प्रतिमा और जवारे की स्थापना की जाती है वर्ष के चारों नवरात्रों में यहां नगर की जनता सुबह प्रातकाल जल चढ़ाने और शाम को आरती करने दीपक रखने आती है इस मंदिर की ऐप एक प्राचीन परंपरा है कि लड़की की शादी में पहले लड़की माता को तेल हल्दी चढ़ाने और लड़के की शादी में घर आने के पूर्व माता की पूजन करने दूल्हा दुल्हन आती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त कर ले के पश्चात ही घर में प्रवेश करते हैं किसी भी आपदा और बीमारी में सबसे पहले लोग माता से विनती करते हैं यह इस मंदिर की परंपरा है अभी इस मंदिर में चैत्र नवरात्रि की तैयारियां जोर शोर से हो रही थी कि करोना जैसी आपदा के कारण प्रशासन मैं अपील की है कि लोग घर से ही माता की पूजन अर्चन करें ताकि करवाना जैसी छुआछूत की बीमारी से बचा जा सके समिति ने भी निवेदन किया है की मंदिर में भीड़ इकट्ठी ना हो क्योंकि नगर में धारा 144 लगी हुई है इस मंदिर समिति द्वारा माता की नवीन प्रतिमा और शतचंडी यज्ञ देवी भागवत पुराण का आयोजन किया जा रहा था लेकिन करो ना जैसी महामारी के ना फैलने के कारण उसे आगामी समय के लिए स्थगित किया गया है ।

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