करवा चौथ बनाम सुखी गृहस्थी,सुशील शर्मा की कलम से
दाम्पत्य के रिश्ते चन्द्रमा के चाहने से चलते हैं या उन्हें चाहिए विश्वास और स्नेह की कसौटी। खट्टी मीठी यादों ,बहसों एवं लड़ाइयों से सजे रिश्ते महज करवा चौथ के व्रत से सँवर जायें ये मुमकिन नहीं है। शादी के बाद जिंदगी की असली कहानी शुरू होती है ,पहले कुछ वर्ष सपनों से बीत जाने के बाद गृहस्थी का मजा शुरू होता है ,जिसमे बहस ,लड़ाई ,रूठना मनाना ,अपने अपने अहंकारों के खोलो से बाहर आते हुए व्यक्तित्व,बच्चों का लालन पालन ,गृहस्थी का सफल संचालन इन्ही सूत्रों को पिरो कर माला का रूप धारण करता है। पति पत्नी का रिश्ता वन वे ट्रैफिक रोड है। यहाँ से दूसरे रास्ते पर जाने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है। उसी रास्ते पर या तो समन्वय से सरपट गाड़ी दौड़ाओ या अहंकारों के स्पीड ब्रेकर लगाकर अटक अटक कर चलो।घर मात्र ईंट-पत्थरों से बना हुआ मकान नहीं होता, बल्कि घर वह होता है जिसे पति पत्नी मिलकर बनाते हैं। यदि लोग प्रेम, समर्पण, ईमानदारी और निष्ठा से रहें, तो उन्हें स्वर्ग का आनंद और सुख अपने घर में ही मिलेगा।
रिश्तों में असहमति या मत भिन्नता जरूरी है। दो व्यक्तित्व कभी एक जैसी सोच नहीं रख सकते लेकिन “सिर्फ मेरी ही सुनी जाये” से या तो टकराव की स्थिति बनेगी या फिर दास गुलामी प्रथा का अनुसरण होगा। कही गई बातों को गलत सन्दर्भों में पकड़ने से ग़लतफ़हमी उत्पन्न होती हैं जो परस्थितियों को गंभीर बनातीं हैं एवं इसका एकमात्र उपाय ठन्डे दिमाग से बातचीत कर गलतफहमियों को दूर करना है।गृहस्थी में आपसी विश्वास से ही तालमेल बनता है। पति से गलती हो तो पत्नी संभाल ले और पत्नी से कोई त्रुटि हो जाए तो पति उसे नज़रअंदाज़ कर दे। यही सुखी गृहस्थी का मूल मंत्र है।जब परिवार में एकता होगी तो मतभेद नहीं होंगे, मतभेद नहीं होंगे तो प्रेम होगा, प्रेम होगा तो सुख होगा, सुख होगा तो शांति होगी यही सुखी जीवन का आधार बनेगा। संयम,संतुष्टि,संकल्प,सामर्थ्य,संवेदनशीलता और संतान सुखी दाम्पत्य जीवन के सूत्र हैं। जिआवन पथ पर दो सहचरों का संकल्पबद्ध होकर धर्म और नीति को साथ ले चलना ही दाम्पत्य जीवन का शुद्ध लक्ष्य होता है।
गृहस्थी की धुरी परिवार का बजट होता है। अगर धुरी गड़बड़ाई तो गाड़ी का डोलना स्वाभाविक है। जिंदगी में शौक उतने ही पालो जितना आपका बजट हो दूसरों के शौक को अगर आपने अपने शौक बनाये तो “आमदनी अट्ठनी खर्च पाँच रुपैया” की नौबत आने पर गृहस्थी की नाव प्यार के वावजूद डूबना स्वाभाविक है।
बजट के आलावा पड़ोसियों से सम्बन्ध ,रिश्तेदारों से रिश्ते ,सामाजिक सरोकारों का निर्वहन, नैसर्गिक एवं नागरिक कर्तव्यों का पालन इन सब का अपनी गृहस्थी में संतुलित समावेश सुखी जीवन की कुंजी बन जाती है। समन्वित हितों को प्राथमिकता ,दूसरे की रुचियों को अपने जीवन में जगह देना ,व्यक्तिगत स्वार्थ को परिवार के हितों में बदलना कठिन क्षणों में एक दूसरे को जोड़े रखता है।मतभेद होना वैवाहिक जीवन में सामान्य बात है किन्तु बुद्धिमत्ता इसी में है कि अपनी बात को इस ढंग से प्रस्तुत किया जाये कि दूसरे को ठेस भी न पहुंचे और आपकी बात भी रह जाये। दिन का झगड़ा रात को शयन कक्ष में सुलझ जाये तो तनाव और कटुता वहीं समाप्त हो जाते हैं।समाज में इतनी उच्छृंखलता, मनमुखता एवं पशुता का खुला प्रचार होते हुए भी दुनिया के 250 देशों का सर्वेक्षण करने वालों ने पाया कि हिन्दुस्तान का दाम्पत्य जीवन सर्वश्रेष्ठ एवं संतुष्ट जीवन है । यह भारतीय संस्कृति के दिव्य ज्ञान एवं ऋषि-मुनियों के पवित्र मनोविज्ञान का प्रभाव है ।
बच्चों की शिक्षा एवं संस्कार सर्वोपरि हैं। बच्चों की शिक्षा संस्कारित तरीके से हो इसके लिए त्याग और समर्पण जरूरी है वर्ना दहन और सम्मान दोनों का कोई मतलब नहीं बचता है।जिस घर में हंसी-खुशी और उल्लास होता है, वहां पर बच्चों के जीवन का पूर्ण विकास होता है।
01 नवंबर को शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक करवा चौथ की पूजा का मुहूर्त है। क्यों न इस करवा चौथ को अपनी गृहस्थी सँभालने के संकल्प लें। अंत में एक दूसरे का विश्वास ,प्रोत्साहन ओर छोटे छोटे त्याग और समर्पण मन में साहस एवं उत्साह भर देतें हैं।
जीवन तुम पर वारा
(करवा चौथ पर गीत)
सोलह शृंगार किया साजन
जीवन तुम पर वारा।
माथे बिंदी कंगन चूड़ी
हाथ रचाए सजना।
आँखों में बस प्यार बसाए
बस तेरे सुर बजना।
चाँद हमारे तुम हो प्रीतम
उमर हमारी लागे।
कितना प्यारा पिया हमारा
बँधे प्रेम के धागे।
तुम बिन जीवन मरुथल जैसा
तुम हो गगन हमारा।
जीवन पथ पर साथ चलूँ मैं
बन कर के अनुगामी।
मार्गप्रदर्शक तुम हो मेरे
मेरे अन्तर्यामी।
सप्तपदी से बँधा हुआ है
रिश्ता कितना प्यारा।
विश्वासों की डोर सम्हाले
बीते जीवन सारा।
जीवन की आपाधापी में
तुम हो एक सहारा।
पहना है सुहाग का जोड़ा
तेरी पिया निशानी।
सदा सुहागन मुझको रखना
करवाचौथ भवानी।
जल्दी निकलो आज चाँद तुम
पति दर्शन अभिलाषा।
उमर पिया को लम्बी देना
मुझे प्रेम परिभाषा।
उनकी बाँहों में दम निकले
उन पर सब कुछ हारा।
सुशील शर्मा